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भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन में से एक इंडिगो इस समय अपने सबसे गंभीर ऑपरेशनल दिक्कतों में से गुजर रही है। इसी बीच मंगलवार और बुधवार को देश के कई बड़े एयरपोर्ट पर 200 से ज्यादा फ़्लाइट कैंसिल हो गईं और सैकड़ों देर से चलीं। इस दिक्कत की वजह से हजारों पैसेंजर फंसे रहे।

इस दौरान टर्मिनल पर लंबी कतारें लग गईं। एयरलाइन्स पर यह सवाल भी उठने लगे कि अचानक शेड्यूल में क्या गड़बड़ हुई? रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडिगो की फ्लाइट्स में देरी की वजह क्रू की कमी, नए ड्यूटी-टाइम नियम, खास एयरपोर्ट पर टेक्निकल खराबी और सर्दियों के पीक ऑपरेशन के दौरान भारी भीड़ शामिल हैं। आइये विस्तार से समझते है क्या है पूरी समस्या?

1. क्रू की बहुत भीषण कमी
नवंबर से लागू नए ड्यूटी-टाइम नियम के बाद से इंडिगो पायलटों और केबिन क्रू की भीषण कमी से जूझ रहा है। अपडेटेड नियमों ने पायलटों के उड़ान भरने के घंटों की संख्या में भारी कमी कर दी और जरूरी आराम की जरूरतें बढ़ा दीं हैं।

इंडिगो की कई फ़्लाइटें सिर्फ इसलिए नहीं निकल पाईं क्योंकि उन्हें चलाने के लिए कोई कानूनी तौर पर क्रू मौजूद नहीं था। कई एविएशन सोर्स ने कहा कि एयरलाइन एक ऐसे पॉइंट पर पहुंच गई थी जहां पूरे रोटेशन कैंसिल करने पड़े क्योंकि पहले रोस्टर में शामिल पायलट अब बदली हुई लिमिट के तहत उड़ान भरने के लायक नहीं थे।

2. नया रोस्टर नियम (FDTL नॉर्म्स) बना परेशानी का सबब
भारत में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) का नया फेज थकान कम करने और सुरक्षा बेहतर करने के लिए बनाया गया है। इंडिगो, जो एशिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है, जिसमें रोज़ाना 2,200 से ज्यादा फ्लाइट शामिल है उसे समय पर रोस्टर फिर से बनाने में मुश्किल आ रही है।

नए नॉर्म्स के लिए ड्यूटी शेड्यूल, नाइट-लैंडिंग प्लान और हफ्ते के रेस्ट चार्ट में बड़े बदलाव करने पड़े। एयरलाइन के शेड्यूलिंग सिस्टम पूरी तरह से स्थिर नहीं हुए थे, और नई जरूरतों की वजह से ज्यादा भीड़ वाले रूट पर क्रू की अचानक कमी हो गई।

3. बड़े एयरपोर्ट पर तकनीकी खामियां
मंगलवार को, दिल्ली और पुणे समेत कई एयरपोर्ट पर चेक-इन और डिपार्चर कंट्रोल सिस्टम में खराबी की खबर आई, जिससे इंडिगो के कई रोटेशन में लंबी लाइनें लग गईं।

इस समस्या की वजहसे डिपार्चर में देरी हुई। दिन भर में देरी तेजी से बढ़ती गई, जिससे एयरक्राफ्ट और क्रू के आने-जाने की चेन बिगड़ गई।

4. एयरपोर्ट पर भीड़ और सर्दियों में ट्रैफिक बनी समस्या
यात्रियों की ज्यादा संख्या, सर्दियों में कोहरे की वजह से ऑपरेशन पर दबाव, और बड़े मेट्रो एयरपोर्ट पर पीक-ऑवर में भीड़ ने इंडिगो देरी को वापस पाने की क्षमता को और कम कर दिया। अपने व्यस्त शेड्यूल के कारण, छोटी-मोटी देरी का भी उसके पूरे नेटवर्क पर असर पड़ता था।

इंडिगो की वेबसाइट बताती है कि एयरलाइन रोजाना 2,200 से ज्यादा उड़ाने संचालित करती है। मंगलवार के सरकारी डेटा से पता चला कि इसका ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर सिर्फ 35 परसेंट रह गया था। इसका मतलब है कि एक ही दिन में 1,400 से ज्यादा उड़ानों में देरी हुई।

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अनुसार, नवंबर महीने में कुल 1,232 फ़्लाइट्स कैंसिल हुईं।

नए रोस्टर नियम में क्या हैं?
भारत के सिविल एविएशन रेगुलेटर ने क्रू की थकान कम करके सुरक्षा को बेहतर बनाने के मकसद से FDTL के कड़े नियम लागू किए हैं। आइये जानते हैं इन बदलावों में क्या-क्या शामिल हैं?

1. हफ्ते में अधिक आराम की जरूरत
पायलटों को अब हर सप्ताह में अधिक आराम का समय मिलना चाहिए। इससे वे कानूनी तौर पर लगातार कितनी ड्यूटी कर सकते हैं, इसकी संख्या कम हो जाती है और रोस्टर प्लानिंग पर असर पड़ता है।

2. रात में लैंडिंग पर रोक
एक पायलट एक तय समय में जितनी रात में लैंडिंग कर सकता है, उसकी संख्या छह से घटाकर दो कर दी गई है। जो एयरलाइंस रात के समय के ऑपरेशन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, उन पर इसका काफी असर पड़ा है।

3. कम किए गये ड्यूटी के घंटे
नियमों में लगातार ड्यूटी के समय पर ज्यादा सख्ती की गई है, जिसका मतलब है कि एक ही शेड्यूल पर ज्यादा पायलटों को काम करना होगा।

DGCA ने उड़ान के समय की लिमिट तय की है:
हर दिन 8 घंटे
हर सप्ताह 35 घंटे
हर महीने 125 घंटे
हर साल 1,000 घंटे
नियम के मुताबिक क्रू को अपनी फ़्लाइट ड्यूटी के समय के दोगुने के बराबर आराम का समय भी मिलना चाहिए। जिसमें 24 घंटे के समय में कम से कम 10 घंटे का आराम शामिल है।

नियम सुरक्षा में सुधार करते हैं लेकिन एयरलाइंस, खासकर जिनके पास फ़ास्ट-टर्नअराउंड मॉडल हैं, उन्हें हर प्लेन में ज्यादा पायलट तैनात करने की जरूरत होती है। इंडिगो का बड़ा ओवरनाइट नेटवर्क इस बदलाव से खास तौर पर कमज़ोर था।

दूसरी एयरलाइंस पर ऐसा असर क्यों नहीं पड़ता? हालांकि नए नियम सभी एयरलाइन पर लागू होते हैं, लेकिन इंडिगो में सबसे ज़्यादा दिक्कत कई स्ट्रक्चरल वजहों से है। आइये जानते हैं क्यों?

1. स्केल और फ्रिक्वेंसी 
इंडिगो भारत की ज़्यादातर डोमेस्टिक फ़्लाइट्स ऑपरेट करता है। इतने ज़्यादा वॉल्यूम के साथ, एक छोटी सी दिक्कत भी पूरे देश में बड़ा असर डालती है।

2. बड़ा नाइट-टाइम नेटवर्क
जहां एयर इंडिया, विस्तारा और अकासा जैसी एयरलाइनें रात में कम सेक्टर ऑपरेट करती हैं, वहीं इंडिगो कई हाई-फ़्रीक्वेंसी ओवरनाइट सर्विस चलाती है। नाइट लैंडिंग पर लिमिट ने तेज़ी से कम कर दिया कि एक क्रू पेयरिंग कानूनी तौर पर कितनी फ़्लाइट ऑपरेट कर सकती है।

3. टाइट क्रू यूटिलाइजेशन मॉडल
इंडिगो की नेटवर्क एफ़िशिएंसी क्रू के घंटों को ज़्यादा से ज़्यादा करने और डाउनटाइम को कम से कम करने पर निर्भर करती है। एक बार जब ड्यूटी-टाइम लिमिट टाइट हो गईं, तो लगभग तुरंत गैप खुल गए।

4. नेटवर्क रीअलाइनमेंट में कम फ़्लेक्सिबिलिटी
छोटे नेटवर्क वाली एयरलाइनों को शेड्यूल एडजस्ट करना आसान लगा। इंडिगो के कनेक्शन के बड़े मैट्रिक्स ने पायलटों और केबिन क्रू को जल्दी से रीशफ़ल करना मुश्किल बना दिया।

कब सुधरेंगे हालात?
इंडिगो का कहना है कि वह 'कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट' करने की कोशिश की जा रही है और उम्मीद है कि लगभग 48 घंटों में ऑपरेशन स्टेबल हो जाएगा।

एयरलाइन ज्यादा स्ट्रेस वाले रूट पर क्रू को फिर से तैनात कर रही है, रात के शेड्यूल में बदलाव कर रही है साथ ही आखिरी समय में अफरा-तफरी से बचने के लिए पहले से प्लान किए गए कैंसलेशन कर रही है।

इंडिगो ने एक बयान में कहा, 'हम अपने कस्टमर्स से सच में माफी मांगते हैं। कई अचानक आई ऑपरेशनल मुश्किलों, जिनमें छोटी-मोटी टेक्नोलॉजी की गड़बड़ियां, सर्दियों के मौसम से जुड़े शेड्यूल में बदलाव, खराब मौसम, एविएशन सिस्टम में बढ़ी भीड़ और अपडेटेड क्रू रोस्टरिंग नियमों को लागू करना शामिल है, का हमारे ऑपरेशन पर बुरा असर पड़ा है।'
 

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दिल्ली 29 नवम्बर :   सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानी 25 नवंबर को एक मामले की सुनवाई करते हुए हिरासत में हिंसा और मौतों को सिस्टम पर धब्बा बताया है। 

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा, "अब यह देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।  यह सिस्टम पर धब्बा है।  हिरासत में मौतें नहीं हो सकतीं."

शीर्ष अदालत पूरे भारत के पुलिस स्टेशनों में काम न कर रहे सीसीटीवी कैमरों के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी। 

4 सितंबर को दिए गए अपने आदेश का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि राजस्थान में आठ महीनों में 11 हिरासत में हुई मौतों की रिपोर्ट सामने आई है।  कोर्ट ने कहा कि इससे साफ़ है कि हिरासत में अत्याचार कम होने के बजाय जारी हैं। 

कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र की ओर से थानों में सीसीटीवी को लेकर मांगी गई रिपोर्ट न सौंपने पर कड़ी नाराज़गी जताई। 

अब तक सिर्फ 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ही अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर पाए हैं।  केंद्र सरकार ने एक भी रिपोर्ट जमा नहीं की है। 

बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस नाथ ने इस पर कड़ा एतराज़ जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अदालत के आदेशों को हल्के में नहीं ले सकती। 

उन्होंने पूछा, "केंद्र सरकार अदालत को बहुत हल्के में ले रही है।  क्यों?"

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के आदेशों को हल्के में बिल्कुल नहीं ले रही है और वह जल्द ही हलफ़नामा दाख़िल करेगी। 

उन्होंने कहा कि हिरासत में मौतों को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। 

न्यूज़ वेबसाइट द हिंदू के मुताबिक इस पर जस्टिस मेहता ने उन्हें रोका और कहा कि अभी अदालत को हलफ़नामा नहीं, बल्कि पूरी अनुपालन रिपोर्ट चाहिए कि सरकार ने क्या-क्या किया है। 

कोर्ट ने राजस्थान में आठ महीनों में हिरासत में हुई 11 मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि अब देश ऐसी घटनाओं को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। 

द हिंदू के मुताबिक तुषार मेहता ने यह भी कहा कि पुलिस स्टेशनों के बाहर सीसीटीवी लगाना कुछ मामलों में सुरक्षा के लिहाज़ से समस्या पैदा कर सकता है। 

जस्टिस मेहता ने जवाब दिया कि अमेरिका में तो पुलिस स्टेशनों की लाइव-स्ट्रीमिंग तक होती है।  इस पर मेहता ने कहा कि अमेरिका में 'प्राइवेट रिसॉर्ट जैसी जेलें' भी हैं। 

अदालत ने कहा कि जेलों में भीड़ कम करने और खर्च घटाने के लिए 'ओपन जेल' जैसे विकल्पों पर काम होना चाहिए। 

आखिर में बेंच ने कहा कि अगर 16 दिसंबर तक रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव और केंद्रीय एजेंसियों के निदेशकों को कोर्ट में खुद पेश होना पड़ेगा और देरी की वजह बतानी होगी। 

2 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया था। 

कोर्ट ने कहा था कि हर पुलिस स्टेशन और सीबीआई, ईडी, एनआईए जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दफ़्तरों में नाइट विज़न वाले सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।  यह आदेश जस्टिस आर.एफ. नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने दिया था। 

कोर्ट ने साफ़ कहा था कि जिन भी एजेंसियों के पास पूछताछ और गिरफ्तारी की शक्ति है, उन सभी के दफ़्तरों में भी सीसीटीवी लगने चाहिए। 

निर्देश के मुताबिक ये कैमरे ऐसी तकनीक वाले होने चाहिए कि वे रात में भी रिकॉर्ड कर सकें और इनमें ऑडियो और वीडियो दोनों की सुविधा हो। 

कोर्ट ने पुलिस स्टेशन के एसएचओ को इन कैमरों की सही मेंटेनेंस और रिकॉर्डिंग संभालने की ज़िम्मेदारी दी थी। 

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और ज़िला स्तर पर निगरानी के लिए ओवरसाइट कमेटियां बनाने का आदेश दिया था, ताकि यह देखा जा सके कि सीसीटीवी का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। 

जहां बिजली या इंटरनेट उपलब्ध नहीं है, वहाँ भी सरकारों को तुरंत व्यवस्था करने को कहा गया था. कोर्ट का कहना था कि चाहे इसके लिए सोलर पावर का ही इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। 

यह आदेश उस मामले के बाद आया था जिसमें पंजाब में पुलिस हिरासत में यातना की शिकायत सामने आई थी. इसलिए कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सीसीटीवी फुटेज डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर या नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर में सुरक्षित रूप से रखा जाए और कम से कम 18 महीनों तक सुरक्षित रहे। 

कोर्ट का कहना था कि अगर बाज़ार में ऐसा उपकरण उपलब्ध न हो जो 18 महीने का डेटा रख सके, तो सरकार को सबसे लंबी रिकॉर्डिंग अवधि वाले उपकरण खरीदने होंगे। 

सरल शब्दों में कहें तो पुलिस हिरासत में किसी अभियुक्त की मौत को 'हिरासत में मौत' का मामला माना जाता है।  चाहे वह अभियुक्त रिमांड पर हो या नहीं हो, उसे हिरासत में लिया गया हो या केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया हो। 

उस पर कोई मामला अदालत में लंबित हो या वह सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहा हो, पुलिस की हिरासत के दौरान अभियुक्त की मौत हो तो उसे 'हिरासत में मौत' माना जाता है। 

इसमें पुलिस हिरासत के दौरान आत्महत्या, बीमारी के कारण हुई मौत, हिरासत में लिए जाने के दौरान घायल होने एवं इलाज के दौरान मौत या अपराध कबूल करवाने के लिए पूछताछ के दौरान पिटाई से हुई मौत शामिल है। 

पुलिस हिरासत में उत्पीड़न और मौत के मामलों का ज़िक्र भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमन्ना ने भी किया है। 

अगस्त, 2021 में उन्होंने एक संबोधन में कहा, "संवैधानिक रक्षा कवच के बावजूद अब भी पुलिस हिरासत में शोषण, उत्पीड़न और मौत होती है।  इसके चलते पुलिस स्टेशनों में ही मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका बढ़ जाती है। "

उन्होंने यह भी कहा, "पुलिस जब किसी को हिरासत में लेती है तो उस व्यक्ति को तत्काल क़ानूनी मदद नहीं मिलती है।  गिरफ़्तारी के बाद पहले घंटे में ही अभियुक्त को लगने लगता है कि आगे क्या होगा?"

सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में डीके बसु बनाम बंगाल और अशोक जौहरी बनाम उत्तर प्रदेश मामले में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि हिरासत में मौत या पुलिस की बर्बरता "क़ानून शासित सरकारों में सबसे ख़राब अपराध" हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद हिरासत में हुई मौतों का विवरण दर्ज करने के साथ-साथ संबंधित लोगों को इसकी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया। 

खबर बीबीसी के आधार पर।  

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दिल्ली ब्लास्ट 27 नवम्बर : महाराष्ट्र के एक फाइव स्टार होटल में फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर करीब छह महीने तक रहने वाली महिला को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। धमाके के समय वह दिल्ली में मौजूद थीं।

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से गिरफ्तार एक महिला से दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए ब्लास्ट के संबंध में पूछताछ की जा रही है। पुलिस का दावा है कि महिला फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर संभाजीनगर के एक लग्जरी होटल में पिछले छह महीनों से ठहरी थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि उसका पाकिस्तानी सेना और अफगानिस्तान में मौजूद व्यक्तियों से संबंध है।

पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी महिला अपना नाम कल्पना भागवत (Kalpana Bhagwat) बता रही है, लेकिन उसके पहचान की पुष्टि अभी की जा रही है। दिल्ली धमाके के समय वह राजधानी में ही मौजूद थी। जिसके बाद जांच का मुख्य फोकस इस बात पर केंद्रित हो गया है कि क्या वह किसी भी तरह से दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ी हुई है। जिस होटल के कमरे से उसे गिरफ्तार किया गया था, उसकी तलाशी के दौरान पुलिस को 2017 का फर्जी आईएएस नियुक्ति पत्र, संदिग्ध आधार कार्ड और कई अहम दस्तावेज मिले।  

शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि उसके बैंक खाते में अफगानिस्तान में मौजूद उसके कथित प्रेमी अशरफ खलील और पाकिस्तान में मौजूद उसके भाई अवेद खलील के खातों से बड़ी रकम भेजी गई थी। पुलिस ने उसके कमरे से 19 करोड़ रुपये का एक चेक और 6 लाख रुपये का दूसरा चेक भी बरामद किया।

महिला का पाकिस्तानी कनेक्शन
अदालत में पुलिस की ओर से बताया गया कि महिला के पास 10 अंतरराष्ट्रीय नंबर मिले, जिनमें अफगानिस्तान और पेशावर से जुड़े नंबर शामिल हैं। महिला के पास पाकिस्तान सेना के अधिकारियों और अफगानिस्तान दूतावास से जुड़े नंबर मिले है। उसके मोबाइल में एक नंबर ‘गृह मंत्री OSD’ के नाम से भी मिला। फोन में पाकिस्तान में मौजूद एक व्यक्ति के साथ व्हाट्सएप चैट भी डिलीट की गई थी।

पिछले तीन दिनों से आईबी के दो अधिकारी महिला से पूछताछ कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि महिला की वास्तविक पहचान पता लगाई जा रही है। फिलहाल अदालत ने उसे 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

गौरतलब हो कि दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके में 15 लोगों की मौत हो गई थी और 12 से ज्यादा घायल हुए थे। इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस आतंकी हमले में शामिल सभी प्रमुख आरोपी मेडिकल बैकग्राउंड से जुड़े बताए गए हैं। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि संभाजीनगर में पकड़ी गई महिला का इस पूरे नेटवर्क से कोई संबंध है या नहीं।

 

खबर पत्रिका के आधार पर

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दिल्ली 26 नवम्बर :   भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने नकद लेनदेन को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से 10, 20, 100 और 500 रुपये के नोटों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। ये नियम नवंबर 2025 से लागू हो गए हैं। इनका सबसे बड़ा उद्देश्य नकली नोटों की चुनौती पर काबू पाना और देश की वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करना है।
नई गाइडलाइंस के अनुसार अब जारी किए जाने वाले नोटों पर RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के हस्ताक्षर होंगे।
हालाँकि, इससे पुराने और नए नोटों में अंतर दिखेगा, लेकिन दोनों ही वैध रहेंगे।नोटों का डिज़ाइन महात्मा गांधी नई श्रृंखला जैसा ही रहेगा ताकि आम लोगों को उन्हें पहचानने में कोई परेशानी न हो।
नोटों में और मजबूत किए गए सुरक्षा फीचर्स
नकली नोटों पर रोक लगाने के लिए RBI ने सुरक्षा फीचर्स को और उन्नत बनाया है, जिनमें—

माइक्रो प्रिंटिंग

उन्नत वाटरमार्क

सिक्योरिटी थ्रेड

विशेष ऑप्टिकल फीचर्स

इन तकनीकों के कारण असली नोटों की नकल करना और कठिन हो जाएगा और जनता का भरोसा बढ़ेगा।

बैंकों और एटीएम के लिए नए सख्त निर्देश
RBI ने छोटे मूल्य वाले नोटों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खास आदेश जारी किए हैं।

नई गाइडलाइन के अनुसार—
मई 2025 तक 75% एटीएम में 10, 20 और 100 रुपये के नोट अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहेंगे।

अब एटीएम से केवल 500 या बड़े नोट निकलने की समस्या कम होगी।
बैंकों को नकदी प्रबंधन और ट्रैकिंग सिस्टम को और अधिक संगठित रखना होगा।

इससे आम जनता को छुट्टे की समस्या से राहत मिलेगी और छोटे लेनदेन अधिक सरल हो जाएंगे।

नकद लेनदेन की पारदर्शिता बढ़ाने पर ज़ोर
नई गाइडलाइंस में नकद लेनदेन की निगरानी और पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया गया है।

मुख्य बदलाव—
50,000 रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर वैध दस्तावेज अनिवार्य होंगे।

नकली नोटों को बैंकिंग प्रणाली में आने से रोकने के लिए नोट जमा और बदलने की प्रक्रिया और कठोर की गई है।

नोटों की ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है ताकि किसी भी संदेह की स्थिति में स्रोत का पता लगाया जा सके।
यह कदम काले धन पर नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन स्थापित करने में मदद करेगा।

क्या पुराने नोट चलन में रहेंगे?
RBI ने साफ कहा है कि—

“पुराने नोट पूरी तरह से वैध हैं।”
नए नोटों को चरणबद्ध तरीके से बाजार में लाया जाएगा ताकि जनता या बैंकिंग प्रणाली पर किसी प्रकार का दबाव न पड़े।

नई गाइडलाइंस के संभावित आर्थिक प्रभाव
नई मुद्रा गाइडलाइंस से आने वाले समय में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे:

नकली नोटों की संख्या में कमी

लेनदेन प्रणाली में पारदर्शिता

छोटे नोटों की बेहतर उपलब्धता

आम लोगों का बैंकिंग प्रणाली पर विश्वास बढ़ना

आर्थिक व्यवस्था का अधिक नियंत्रण और अनुशासन
यह कदम डिजिटल और नकद—दोनों प्रकार के लेनदेन को संतुलित रखने में सहायक होगा।

RBI द्वारा जारी नई गाइडलाइंस 2025 देश की मुद्रा प्रणाली को अधिक सुरक्षित, व्यवस्थित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। नए सुरक्षा फीचर्स, छोटे नोटों की उपलब्धता, नकद लेनदेन में पारदर्शिता और बैंकिंग ढांचे में सख्ती—ये सभी आम जनता के हित में हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुराने नोट भी पूरी तरह से वैध हैं, इसलिए किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। आने वाले वर्षों में इन नियमों का सकारात्मक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था में देखने को मिलेगा।

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दिल्ली 24 नवम्बर :  जस्टिस सूर्यकान्त ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता भी मौजूद थे। 
बीते 30 अक्तूबर को ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकान्त को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश, या चीफ़ जस्टिस, नियुक्त किया था। आज उन्होंने ये पद संभाल लिया है। 
हाल के कुछ मुख्य न्यायाधीशों के मुक़ाबले उनका एक लंबा कार्यकाल होगा, जो कि 15 महीने, यानी फ़रवरी 2027 तक चलेगा। 
चीफ़ जस्टिस भारत के न्यायपालिका व्यवस्था के मुख्य अधिकारी होते हैं।  वह ना केवल एक जज के तौर पर मामलों में फैसले लेते हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी सारी प्रशासनिक कार्यों पर भी निर्णय लेते हैं.
इसमें एक बड़ी शक्ति है ये तय करना कि किसी मामले की सुनवाई कब होगी और कौन से जज उस मामले को सुनेंग। . इसलिए यह भी कहा जाता है कि सभी फैसलों में चीफ़ जस्टिस की एक 'इनडायरेक्ट' शक्ति होती है। 

हाल में, जस्टिस सूर्यकान्त कई चर्चित मामलों में सुर्खियों में रहे हैं, बिहार में 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन', कॉमेडियन समय रैना के इंडियाज़ गॉट लेटेंट शो से जुड़ा विवाद, और अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद की गिरफ़्तारी। 
22 साल की उम्र में, जस्टिस सूर्यकान्त ने हरियाणा में वकालत शुरू की।  एक साल बाद, 1985 में, वे चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।  वकालत में 16 साल बिताने के बाद, वे हरियाणा के एडवोकेट-जनरल नियुक्त हुए. उस वक्त वे केवल 38 साल के थे, जोकि एडवोकेट-जनरल के लिए बहुत कम आयु मानी जाती है।  उस वक्त वे एक सीनियर एडवोकेट भी नहीं थे।  उन्हें सीनियर एडवोकेट साल 2001 में बनाया गया। 

इसके कुछ वर्षों बाद ही, 2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।  2019 में वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे, जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। 

हालांकि, इस बीच उनपर कई गंभीर आरोप भी लगाए गए, जिनकी व्याख्या समाचार मैगज़ीन कारवां की एक रिपोर्ट में की हुई है।  इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में एक व्यापारी सतीश कुमार जैन ने भारत के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस को एक शिकायत भेजी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि जस्टिस सूर्यकान्त ने कई संपत्तियों को खरीदने और बेचने के दौरान संपत्तियों को 'अंडर वेल्यू' किया था।  इससे उन्होंने सात करोड़ रुपए से ज़्यादा के ट्रांजेक्शन पर टैक्स नहीं दिया।   इस रिपोर्ट में 2017 के भी एक आरोप की बात की है, जब सुरजीत सिंह नामक पंजाब में एक क़ैदी ने जस्टिस सूर्यकान्त पर आरोप लगाया कि उन्हें रिश्वत लेकर लोगों को ज़मानत दी है। 
इन आरोपों की कई बार चर्चा हुई है।  लेकिन ये साफ़ नहीं कि इन पर कभी कोई कार्यवाही की गई या नहीं. जब जस्टिस सूर्यकान्त को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया, तब कारवां और अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में खबरों के मुताबिक, तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने तब के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्र को एक चिट्ठी लिखी।  उसमें उन्होंने कहा कि जस्टिस सूर्यकान्त पर लगाए गए आरोप पर उन्होंने 2017 में एक जांच की मांग की थी, हालांकि उसका क्या परिणाम निकला इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं।  उन्होंने यह भी कहा कि जब तक इन आरोपों की स्वतंत्र रूप से जाँच नहीं होती, तबतक जस्टिस सूर्यकान्त को हिमाचल प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाना चाहिए। 
हालांकि, 2019 में बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने एक पत्र में कहा कि जस्टिस सूर्यकान्त के ख़िलाफ़ आरोप निराधार हैं।  बीबीसी हिंदी ने सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस सूर्यकान्त से उन पर लगे आरोपों के बारे में उनकी टिप्पणी मांगी, हालांकि हमें इसका कोई जवाब नहीं मिला।  जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट में उसे शामिल किया जाएगा। 
जस्टिस सूर्यकान्त की संपत्ति कई बार चर्चा में रही है।  मई 2025 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर जजों की संपत्ति को सार्वजनिक तौर से घोषित किया।  जस्टिस सूर्यकान्त की घोषणा में आठ संपत्तियाँ और करोड़ों रुपए के निवेश शामिल थे। 

खबर बीबीसी न्यूज़ के आधार पर :

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भोपाल 18 नवम्बर:    सऊदी अरब के मक्का-मदीना हाईवे पर रविवार देर रात हुए बस हादसे में जान गंवाने वाले 45 भारतीय नागरिकों के शव वापस नहीं लाए जाएंगे। ये सभी उमरा (इस्लामी तीर्थयात्रा) के लिए सऊदी गए थे।

तेलंगाना मंत्रिमंडल ने कल फैसला लिया है कि मारे गए लोगों को उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक सऊदी अरब में ही दफनाया जाएगा। हर पीड़ित परिवार से दो लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने सऊदी अरब भेजे जाएंगे।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिजन को शव भारत वापस लाने या मदीना के जन्नतुल बकी में दफनाने का ऑप्शन दिया जाएगा। हालांकि सऊदी कानून के मुताबिक शवों की वापसी काफी मुश्किल है।

वहीं, पीड़ित परिवारों को तुरंत मुआवजा मिलाना भी काफी मुश्किल है, क्योंकि सऊदी अरब में सड़क दुर्घटनाओं में सरकार की ओर से कोई सीधा मुआवजा नहीं दिया जाता।

मुआवजा तभी मिल सकता है जब पुलिस जांच में टैंकर ड्राइवर या कंपनी की गलती साबित हो और परिवार कानूनी दावा दायर करे। यह प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है।

सऊदी से तीर्थयात्रियों के शव वापस नहीं भेजे जाते

सऊदी हज और उमरा मंत्रालय के मुताबिक, यात्रा शुरू करने से पहले तीर्थयात्रियों को एक डिक्लेरेशन फॉर्म पर साइन कराने पड़ते हैं। इसमें क्लियर लिखा होता है कि अगर सऊदी अरब की जमीन पर (मक्का, मदीना या कहीं भी) तीर्थ यात्री की मौत होती है, तो शव को वहीं दफनाया जाएगा।

वहीं, भारत सरकार के मुताबिक अगर किसी गैर-तीर्थयात्री भारतीय की सऊदी में मौत होती है, तब मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों की इच्छानुसार शव को भारत लाया जा सकता है या सऊदी अरब में दफनाया जा सकता है।

फ्यूल टैंकर ने बस को टक्कर मारी थी

मक्का से मदीना जा रही उमरा यात्रियों की बस रास्ते में किनारे खड़ी थी। इसी दौरान पीछे से आए तेज रफ्तार फ्यूल टैंकर ने बस को टक्कर मार दी थी। मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के हैं।

हादसा मदीना से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुहरास के पास भारतीय समयानुसार रविवार देर रात लगभग 1:30 बजे हुआ। उस समय कई यात्री सो रहे थे। उन्हें बचने का कोई मौका नहीं मिला।

मृतकों में 18 महिलाएं, 17 पुरुष और 10 बच्चे शामिल हैं। हादसे में सिर्फ 1 शख्स जिंदा बचा है। उसकी पहचान मोहम्मद अब्दुल शोएब (24 साल) के रूप में हुई है। शोएब (24) ड्राइवर के पास बैठा था। शोएब भी भारतीय हैं।

हादसे के बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। एक सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। मारे गए लोगों में से 18 एक ही परिवार के थे। इनमें 9 बच्चे और 9 बड़े शामिल थे। यह परिवार हैदराबाद का रहने वाला था और 22 नवंबर को भारत लौटने वाला था।

54 लोग हैदराबाद से सऊदी गए थे

हैदराबाद पुलिस के मुताबिक 9 नवंबर को 54 लोग हैदराबाद से सऊदी गए थे। वे 23 नवंबर को वापस आने वाले थे। इनमें से 4 लोग रविवार को कार से अलग से मदीना गए थे। वहीं 4 लोग मक्का में रुक गए थे। दुर्घटना वाली बस में 46 लोग सवार थे।

तेलंगाना सरकार ने कहा है कि वह रियाद में भारतीय दूतावास के संपर्क में है। राज्य सरकार की ओर से मारे गए लोगों को 5-5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया गया है।

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दिल्ली में मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे दूतावास से नजदीकी तालमेल बनाकर पीड़ितों की पहचान और अन्य औपचारिकताओं में मदद करें।
ओवैसी ने शवों को भारत लाने की अपील की थी

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सऊदी अरब में भारतीय उमरा यात्रियों की बस दुर्घटना पर दुख जताया। न्यूज एजेंसी ANI से फोन पर बातचीत में ओवैसी ने बताया कि उन्होंने हैदराबाद की दो ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क किया है और यात्रियों की जानकारी रियाद स्थित भारतीय दूतावास के साथ साझा की है।

उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (DCM) अबू मैथन जॉर्ज से भी बात की। जॉर्ज ने उन्हें बताया कि स्थानीय अधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही है और जल्द ही अपडेट दिया जाएगा। 

ओवैसी ने कहा था- मैं केंद्र सरकार से, खासकर विदेश मंत्री जयशंकर से अपील करता हूं कि शवों को जल्द ले जल्द ​​​​​​भारत लाया जाए।

PM मोदी बोले- पीड़ितों को हरसंभव मदद दे रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सऊदी बस दुर्घटना पर दुख जताया। एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि रियाद में वाणिज्य दूतावास हर संभव मदद दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने X पर कहा, 'मदीना में भारतीय नागरिकों के साथ हुई दुर्घटना से मुझे गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। हमारे अधिकारी सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।'

विदेश मंत्री बोले- दुर्घटना से गहरा सदमा पहुंचा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सऊदी अरब में हुए हादसे पर दुख जताया। जयशंकर ने कहा- 'मदीना में भारतीय नागरिकों के साथ हुई दुर्घटना से गहरा सदमा पहुंचा है। रियाद स्थित हमारा दूतावास दुर्घटना से प्रभावित भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को पूरी सहायता प्रदान कर रहा है।'
 

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